Turmeric Milk-हल्दी वाला दूध

रात को सोते समय देशी गाय के गर्म दूध में एक चम्मच देशी गाय का घी और चुटकी भर हल्दी डालें . चम्मच से खूब मिलाकर कर खड़े खड़े पियें. - इससे त्रिदोष शांत होते है.

संधिवात यानी अर्थ्राईटिस में बहुत लाभकारी है. - किसी भी प्रकार के ज्वर की स्थिति में , सर्दी खांसी में लाभकारी है.

हल्दी एंटी माइक्रोबियल है इसलिए इसे गर्म दूध के साथ लेने से दमा, ब्रोंकाइटिस, फेफड़ों में कफ और साइनस जैसी समस्याओं में आराम होता है. यह बैक्टीरियल और वायरल संक्रमणों से लड़ने में मदद करती है.

Importance of Navmansh Kundli (Horoscope)-नवांश कुंडली का महत्व

फलित ज्योतीष में नवांश कुंडली का बहुत महत्व होता है , इसी के आधार पर जातक का भाग्य नीर्धारीत होता है।

१. जो ग्रह लग्न कुंडली में जीस राशी में हो, यदी उसी राशी में नवांश में भी होतो, ग्रह वर्गोत्तम होता है , यह ग्रह उच्च राशी के ग्रह के सामान फल देता है , यदी नीच राशी में भी होतो, यह फल जातक को उस गर्ह की महादशा या अंतर दशा में मीलते है .

२. दोनों नीच राशी में होतो , फल साधारण शुभ , कीन्तू यदी दोनों उच्च राशी में होतो, सर्वोत्तम शुभ फल मीलेगा .

३ . यदी लग्न की राशी तथा नवांश लग्न की राशी एक ही हो तो , वह लग्न भी वर्गोत्तम होता है , ये जातक जीवन भर अन्यों की अपेशा सुखी रहते है .

४. यदी कोई गृह लग्न कुंडली में उच्च राशी में तथा नवांश कुंडली में नीच राशी में हो तो, वह ग्रह नीच राशी का फल (अशुभ व हानीकारक फल ) देगा .

५. यदी कोई गृह लग्न कुंडली में नीच राशी में है , कीन्तू नवमांश कुंडली में उच्च राशी में है तो , वह जातक को उच्च ग्रह के समान लाभ देगा (शुभ तथा लाभकारी फल मीलेगे )

६. यदी लग्न कुंडली में तीन ग्रह उच्च राशी में हो लेकीन वे ग्रह नवमांश कुंडली में नीच अंशों में होतो, जातक दुखी तथा परेशानीयों से घीरा रहता है .

७ . यदी लग्न कुंडली में ग्रह नीच राशी में हो , कीन्तू नवांश में उच्च अंशो (नवांश ) में हो तो जातक सुखी , सम्पन्न तथा जीवन के सभी भोग भोगने वाला होता है .

How to Protect Your Money-अपने पैसे को कैसे संभालकर रखें

मुझे बहुत से लोग मिलते हैं जो कहते हैं कि हमारे पास पैसा आता तो है पर टिकता नहीं है, क्‍या करें समझ में नहीं आता।

कुछ सरल उपाय हैं जिनसे आप अपने पैसे को संभाल कर रख सकते हैं।

मोती शंख - मोती शंख का सही विधि- विधान से पूजन कर यदि तिजोरी में रखा जाए तो घर, कार्यस्थल, व्यापार स्थल और भंडार में पैसा टिकने लगता है। आमदनी बढऩे लगती है।

रखने की विधी -

किसी बुधवार को सुबह स्नान कर साफ कपड़े में अपने सामने इस शंख को रखें। उस पर केसर से स्वस्तिक का चिह्न बना दें। इसके बाद नीचे लिखे मंत्र का जप करें -

श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:
(टिप्‍पणी) मंत्र का जप स्फटिक माला से ही करें।

मंत्रोच्चार के साथ एक-एक चावल इस शंख में डालें। इस बात का ध्यान रखें की चावल टूटे हुए ना हो। इस प्रयोग लगातार ग्यारह दिनों तक करें। इस प्रकार रोज एक माला का जप करें। उन चावलों को एक सफेद रंग के कपड़े की थैली में रखें और ग्यारह दिनों के बाद चावल के साथ शंख को भी उस थैली में रखकर तिजोरी में रखें। आप देखेंगे कि कुछ ही दिनों में आपके धन-वैभव में वृद्धि होने लगेगी। पैसा आएगा भी और टिकेगा भी।

कैसा होता है मोती शंख? 

मोती शंख दूसरे सभी शंखों से कहीं अधिक सुंदर और आकर्षक होता है। इसका आकार भी सभी शंखों बिल्कुल अलग होता है। यह श्रीयंत्र की तरह दिखाई देता है। मोती शंख बहुत चमकीला होता है, इस पर लाइट पडऩे पर यह और अधिक मनमोहक दिखाई देता है। इसके प्रभाव से घर में नकारात्मक ऊर्जा निष्क्रीय हो जाती है और इसके आसपास रहने वाले लोगों को शुभ फल प्राप्त होने लगता है। इसका उपयोग तंत्र क्रियाओं में किया जाता है।

कुछ साधारण तंत्र प्रयोग इस प्रकार हैं-

यदि इस शंख को कारखाने में स्थापित किया जाए तो कारखाने में तेजी से आर्थिक उन्नति होती है।

यदि मोती शंख को मंत्र सिद्ध व प्राण प्रतिष्ठा पूजा कर स्थापित किया जाए तथा उसमें जल भरकर लक्ष्मी के चित्र के साथ रखा जाए तो लक्ष्मी प्रसन्न होती है और आर्थिक उन्नति होती है।

मोती शंख को घर में स्थापित कर यदि रोज ऊँ श्री महालक्ष्मैय नम: ग्यारह बार बोलकर एक-एक चावल का दाना शंख में भरते रहे। इस प्रकार ग्यारह दिन तक प्रयोग करें। यह प्रयोग करने से आर्थिक तंगी समाप्त हो जाती है।

यदि व्यापार में घाटा हो रहा है। दुकान में आय नहीं हो रही हो तो एक मोती शंख दुकान के गल्ले में रखा जाये तो इससे व्यापार में वृद्धि होती है।

घर में जहां धन संबंधी वस्तुएं रखी होती हैं वहां मोती शंख रखना काफी शुभ माना जाता है। घर में पैसा रखने का स्थान जैसे तिजोरी, अलमारियां, टेबल आदि। सामान्यत: सभी इन्हीं जगहों पर धन और कीमती सामान रखते हैं। इन्हीं के साथ मोती शंख रखने से पैसों में बरकत बढ़ती है और खर्चों में कमी आती है।

मोती शंख को अपने वर्क टेबल पर रखें इससे धन से जुड़ी सारी समस्याएं समाप्त हो जाती है।

Vastu Suggestions-वास्तु सलाह

* घर के अंदर आते समय दायीं ओर खिडक़ी हो और बाहर की ओर से कुआं या पानी की टंकी हो तो ऐसे भवन का स्वामी अपना अधिकांश समय घर के बाहर ही बिताता है और वह नशे का आदी होता है।
* खिडक़ी की लाइन में दायीं ओर घर का भोजनालय है तो गृहस्वामी का पुत्र आलसी होता है और वह मध्यम स्तर की उन्नति करता है।
* घर के मुख्य द्वार के सामने वृक्ष होना अशुभदायक होता है। इससे ग्रह स्वामी अनचाही मुसीबतों और कोर्ट केस से परेशान रहता है। इस दोष से मुक्ति पाने के लिए मुख्य द्वार के ऊपर बाहर की तरफ अष्टकोणीय दर्पण लगाना चाहिए। यह नकारात्मक ऊर्जा को परावर्तित कर वापस बाहर फेंक देता है।
* यदि आपका मकान स् (एस) मोड़ पर बना हुआ है तो वास्तु की दृष्टि से गृहस्वामी को धनलक्ष्मी की प्राप्ति होती है और धन-वैभव कभी कमी नहीं होती है।
* मकान का मुख्य द्वार यदि अन्य निर्माण से ढका या अवरुद्घ हो या मकान के सामने दूसरे मकान के निर्माण से मुख्य द्वार ढक गया हो तो गृहस्वामी हृदय रोग से दुखी रहने लगता है और इसे बहुत अशुभ माना गया है। इसी प्रकार किसी दूसरे मकान का कोना मुख्य द्वार को बेधित करता है तो गृहस्वामी को हृदयघात होने का खतरा बना रहता है। इस दोष को दूर करने के लिए मुख्य द्वार के दहलीज के नीचे छ: सुनहरे सिक्के पंक्तिबद्घ रूप से गाड़ दें या मुख्य द्वार पर अष्टकोणीय दर्पण लगा दें।

Judging of Personality of Female's Naval-महिलाओं की नाभि के आधार पर उसके व्‍यक्तित्‍व का आंकलन

1) यदि किसी स्‍त्री की नाभि लंबवत है यानी खड़ी है और वक्रीय है तो वह बहुत बोल्‍ड होती हैं, वो अपने काम के प्रति काफी रुचि रखती हैं। जीवन में परफेक्‍शन पसंद करती हैं।

2) यदि किसी स्‍त्री की नाभि गोलाकार है तो वह जमीन से जुड़ी महिलाएं होती हैं। बहुत दयालु व ईमानदार होती हैं। स्‍वास्‍थ्‍य अच्‍छा रहता है और बहुत तेज सोचती हैं।

Made Yantra on Diwali for Gaining Money-दिवाली पर बनाएं यंत्र (धन प्राप्ति बीसा यंत्र)

धन प्राप्ति बीसा यंत्र :

दीपावली की रात्रि में भोजपत्र पर केसर से इस यंत्र का निर्माण करके इसे अपनी तिजोरी में रखने से धन की कमी नहीं होती।

मंत्र : ओम ह्रीं श्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः

श्री धनप्राप्ति यंत्र :

इस यंत्र का सवर्ण पर निर्माण करके गले में धारण करके धनलक्ष्मी मंत्र का जाप करने से धनप्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। 

मंत्र : ओम क्लीं श्रीं ह्रीं धनं कुरू स्वाहा

दीपावली में किये जाने वाले कुछ अनूठे प्रयोग

दीपावली को रात में पूजन के पश्चात् नौ गोमती चक्र तिजोरी में स्थापित करने से वर्ष भर समृद्धि तथा खुशहाली बनी रहती है।
 
घर में धन वृद्धि के लिए श्रद्धा व विश्वास के साथ नरक चतुर्दशी के दिन लाल चंदन, लाल गुलाब के पांच फूल और रोली लाल कपड़े में बांधकर पूजा करें, उसके पश्चात् अपनी तिजोरी में रखें। इस दिन ऐसा करने से घर में धन रुकने लगता है।
 
अगर घर में ऊपरी बाधा या अंशाति रहती हो, तो चुटकी भर हीरा हींग घर की दीवारों से स्पर्श कराकर किसी सुनसान स्थान पर फेंक दें, मुड़कर न देखें। दीपावली के दिन प्रातः उठकर तुलसी के पत्ते की माला बनाकर श्री महालक्ष्मी के चरणों में अर्पित करें। धन लाभ होगा।
 
परिवार में सुख-शांति बनी रहे, वैमनस्य न बढ़े इसके लिए दीपावली को एक मिट्टी के पात्र में अंगारे पर लोबान को डालकर उसका धुआं प्रत्येक कमरे में दें। ऐसा करने से परिवार में एकता और प्रेम बढ़ेगा।
 
नौकरी की ईच्छा रखने वाले जातक को दीपावली की शाम चने की दाल लक्ष्मी पर छिड़क देनी चाहिए। दाल को महालक्ष्मी के पूजन के बाद एकत्रित कर पीपल में विसर्जित कर दें। 
 
धनतेरस के दिन हल्दी और चावल पीसकर उसके घोल से घर के प्रवेश द्वार पर 'ऊँ' बना दें।
 
दीपावली के दिन प्रातःकाल सबसे पहले किसी असहाय अथवा गरीब को नौ किलो गेहूं का दान करें। इसके बाद दीपावली के अगले दिन रंगोली से द्वार सजाएं।
 
दीपावली के दिन प्रातःकाल गन्ने की जड़ को घर लाकर रात्रि में लक्ष्मी पूजन के साथ इसकी भी पूजा करें, तो आपकी धन सम्पति में वृद्धि होगी।
 
दीपावली को लक्ष्मी पूजन के बाद घर के सभी कमरों में शंख और डमरू बजाना चाहिए। इससे दरिद्रता घर से बाहर जाती है, लक्ष्मी घर में आती है।
 
दीपावली की रात्रि में थोड़ी साबुत फिटकरी लेकर उसे दुकान में घुमाएं फिर किसी चैराहे पर जाकर उसको उपर दिशा की तरफ फेंक दें, दुकान में ग्राहकी बढ़ेगी तथा धन लाभ होगा।
 
दीपावली के दिन लाल चमकीले रेशमी रुमाल में हत्था जोड़ी बांधकर अपनी तिजोरी में रखने से धन संचय होने लगेगा।
 
दीपावली के दिन प्रातःकाल पति-पत्नी विष्णु-लक्ष्मी के मंदिर में जाकर लक्ष्मी जी को पोशाक चढ़ाएं, खूशबूदार गुलाब की अगरबत्ती जलाएं और दान करें तो धन लाभ अवश्य होगा।
 
एकाक्षी नारियल की दीपावली की रात्रि में लक्ष्मी पूजा के साथ पूजा करें तथा अगले दिन उसे उठाकर तिजोरी अथवा जहां आप रुपये रखते हैं वहां रख दें। ऐसा करने से घर में निरंतर आर्थिक उन्नति होती रहती है।
 
दीपावली से आरंभ करके प्रत्येक अमावस्या की शाम किसी अपंग भिखारी या विकलांग व्यक्ति को भोजन कराएं, तो सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
 
दीपावली के दिन पांच अखंडित लौंग तथा कुछ हरिद्रा के दाने घर से दक्षिण दिशा में फेंक दें। बाधाएं समाप्त होंगी।
 
छोटी दीपावली को प्रातःकाल स्नान करने के बाद सबसे पहले लक्ष्मी विष्णु की प्रतिमा अथवा फोटो को कमलगट्टे की माला तथा पीले पुष्प अर्पित करें। धन लाभ होगा।
 
दीपावली के पूजन से पहले आप किसी भी गरीब सुहागिन स्त्री को अपनी पत्नी के द्वारा सुहाग अवश्य दिलवाएं। सामग्री में इत्र अवश्य होना चाहिए।
 
दीपावली के दिन पीपल के वृक्ष के नीचे संध्याकाल में सरसों के तेल का दीपक जला दें फिर घर वापस आ जायें। पीछे मुड़कर न देखें। यह प्रयोग दीपावली के बाद प्रत्येक शनिवार को नियम से करें। धन लाभ होगा।
 
भाई दूज के दिन एक मुट्ठी साबुत बासमती चावल बहते हुए पानी में महालक्ष्मी का स्मरण करते हुए छोड़ना चाहिए। इससे धन-धान्य की वृद्धि होगी।
 
दीपावली की रात्रि में काले तिल परिवार के सभी सदस्यों के सिर पर सात बार उतार कर घर की पश्चिम दिशा में फेंक दें। ऐसा करने से धन हानि बंद हो जायेगी।
 
गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियां खरीदते समय यह अवश्य देखें कि गणेश जी की सूंड़ गणेश जी की दायीं भुजा की ओर ही मुड़ी हों। खंडित मूर्तियां न खरीदें। पूजन के समय मूर्तियों को पीठिका पर स्थापित करते समय लक्ष्मी जी को सदैव गणेश जी के दाहिनी ओर ही रखें।
 
दीपावली की रात्रि को भोजपत्र पर लाल चंदन से यह यंत्र बनाकर लक्ष्मी पूजा में रखें। अगले दिन इस यंत्र को व्यापार स्थल अथवा तिजोरी में रख दें। यह काफी लाभदायक सिद्ध होगा।
 
73 80 2 7 6 3 77 76 79 4 8 1 4 4 75 74 यह व्यापार वृद्धि यंत्र है। इसे दीपावली की रात्रि में लाल चंदन से दुकान पर लिखने से व्यापार बढ़ता है।

Stop Accidents-दुर्घटनाओं को रोकिए

कई बार छोटी दुर्घटनाएं होकर कोई बडी बला टल जाती है, तो कभी छोटी दुर्घटना भी जानलेवा साबित हो जाती है। यहां हम कुछ ऎसे सरल किन्तु अत्यन्त अपयोगी उपाय बता रहे हैं जिनका प्रयोग करने से दुर्घटना के योग को टाला जा सकता है अथवा घातक परिणामों से मुक्ति मिल सकती है।

पहला- यह एक ऎसा सरल उपाय है जिसके प्रयोग आप सुनिश्चित लाभ की अपेक्षा कर सकते हैं। इस प्रयोग के अन्तर्गत गुरूपुष्य नक्षत्र में शुभ मुहूर्त में निकाली गई अपामार्ग नामक पौधे की जड ले लें। इस पौधे को लटजीरा, आंधाझाडा इत्यादि नामों से भी पुकारा जाता है। इस जड को एक फिटकरी के टुकडे एवं एक कोयले के टुकडे के साथ एक काले वस्त्र में बांधकर उससे वाहन के चारों ओर दाहिने घूमते हुये 7 चक्कर लगायें। यह एक प्रकार का उसारा करने के समान है। इसके पश्चात इस पोटली को वाहन मे कहीं रख दें। ऎसा करने से वाहन दुरात्माओं से रक्षित रहता है तथा उसकी दुर्घटनाओं से भी रक्षा होती है।

दूसरा- यह एक यंत्र प्रयोग है। इस यंत्र निर्माण के पश्चात इसे सिद्ध करके अपने वाहन में अथवा अपने पास रखा जाए तो दुर्घटनाओं से बचा जा सकता है। अगर आपका वाहन चार पहिया है तो इसे डेशबोर्ड पर रखने की व्यवस्था करें। अगर दोपहिया वाहन है तो अपने पर्स में रखें। इस यंत्र का प्रारूप आगे दिया गया है। चूंकि किसी भी दुर्घटना से रक्षा करने वाले मारूति नन्दन श्री हनुमानजी हैं, अत: इस यंत्र का लेखन मंगलवार अथवा शनिवार को करें। अगर शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार अथवा शनिवार को करें तो अधिक प्रभावी रहेगा। इसके लिये आपको केशर को पानी में घोलकर स्याही का निर्माण करना पडेगा। लिखने के लिये अनार की कलम की व्यवस्था करें। एक भोजपत्र की भी व्यवस्था करके रखें। जिस दिन आपको यंत्र का निर्माण करना है, उस दिन स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। आवास में ही किसी एकान्त स्थान का चयन करें। दक्षिण को छोडकर किसी भी दिशा की तरफ मुंह करके बैठें। बैठने के लिये सूती अथवा ऊनी आसन का प्रयोग किया जा सकता है। एक बाजोट बिछायें। इसके ऊपर सवा मीटर लाल वस्त्र चार तह करके बिछायें। इसके ऊपर हनुमानजी की तस्वीर को स्थान दें। इसके समक्ष दीपक प्रज्वलित करें। अब आप यंत्र का प्रारूप बनायें। यंत्र निर्माण के समय हनुमानजी के मंत्र का जाप करते रहें। यंत्र लेखन के पश्चात इसे बाजोट पर हनुमानजी की तस्वीर के समक्ष रख दें। अब आपको हनुमानजी के किसी भी मंत्र की एक माला का जाप करना है। जाप के पश्चात हाथ जोडकर उठ जायें। जब तक दीपक जलता है, तब तक यंत्र को वहीं रखा रहने दें। दीपक ठण्डा हो जाये, इसके बाद यंत्र को उठा लें। तस्वीर को पूजास्थल में स्थान दें। बाजोट एवं आसन आदि भी समेट लें। अब आप किसी भी प्रकार से यंत्र को कार के डेशबोर्ड पर रखें। अगर दोपहिया वाहन है तो जेब में रखें। यह यंत्र आपके लिये रक्षा कवच का काम करेगा और आपको किसी भी प्रकार की दुर्घटना से बचा कर रखेगा।

तीसरा- इस प्रयोग को सम्पन्न करने वाला स्नान आदि से निवृत होकर, किसी भी शनिवार अथवा मंगलवार के दिन हनुमानजी के मंदिर जाकर उन्हें फूल-प्रसाद आदि अर्पण करें। तदुपरान्त उसी मंदिर में बैठकर हनुमानजी को श्रीराम श्रीराम नाम सुनायें। वह चाहे तो श्रीराम नाम की ग्यारह माला का जाप करें। इसके पश्चात अपने दाहिने हाथ से हनुमानजी के बायें पैर का सिंदूर ले ले। ध्यान रहे कि सिंदूर लेने हेतु अनामिका का प्रयोग करें। इस सिंदूर को एक कागज के मध्य में टीके की भांति लगा लें। उस कागज पर लगाये गये टीके के ऊपर की ओर श्रीरामदूतम् शरणं प्रपद्दे लिखें तथा टीके के नीचे की ओर भी श्रीराम दूतमं शरणम् प्रपद्दे लिखें। टीके के दोनों बाजुओं की तरफ अर्थात दायें-बायें श्रीराम दूताय नम: ऎसा लिखें। हनुमानजी के नाम से जडित इस यंत्र को वाहन में ड्राइवर के समक्ष ऊपर की ओर लगा दें। गाडी चालाने के पूर्व ड्राईवर इस यंत्र को अगरबत्ती लगाकर प्रणाम कर वाहन चलाना प्रारम्भ करे। ऎसा करने से वाहन श्रीहनुमानजी की कृपा से सुरक्षित रहता है। इस यंत्र को स्थापित करने वाला ड्राईवर गलत कार्यो से बचें अन्यथा लाभ की जगह हानि भी हो सकती है।

चौथा- वाहन को दुर्घटना से बचाने हेतु अनेक सरल प्रयोग सुझाए गए हैं। यह प्रयोग अत्यन्त ही सरल एवं प्रभावी है। इस प्रयोग के अन्तर्गत वाहन चालक व्यक्ति एक काले वस्त्र का चौकोर टुकडा लें। उसमें लगभग देा सौ ग्राम फिटकरी का एक टुकडा बांध दें। इस पोटली को वाहन के सामने की ओर किसी मजबूत डोरी से लटका दें। इसके प्रभाव से वाहन किसी भी दुर्घटना से रक्षित रहता है। एक अन्य प्रयोग में वाहन के सामने और पीछे की ओर किसी राक्षस का मुखौटा बनाने या लगाने से भी वाहन दुर्घटना से मुक्त रहता है। कुछ लोग वाहनों को दुर्घटना एवं बुरी नजर से बचाने के लिये उनके सामने की ओर जूता लटकाये रखते हैं। इसी प्रकार वाहन के सामने की ओर त्रिकोणाकार आकृति में काटे गये दो काले वस्त्रों को कोणीय रूप से लगाने से भी वाहन नकारत्मक ऊर्जा से दूर रहता है। भगवान शिव को विध्वंस का देव माना गया है किन्तु इन्हीं की कृपा से साक्षात मृत्यु की ओर जाता हुआ व्यक्ति भी पुन: जीवनदान पा जाता है, इसलिये जितने भी भारी चार पहिया वाहन के चालक हैं, उनमें से अधिकांश अपने डेशबोर्ड पर भगवान शिव की प्रतिमा अथवा तस्वीर लगाते हैं। इन चालकों का विश्वास होता है कि जो मारने वाला है वही बचाने वाला भी होता है। अनेक चालक अपने डेश बोर्ड पर हनुमानजी की तस्वीर अथवा प्रतिमा को स्थान देते हैं। इनमें से किसी को अथवा जिन्हें आप मानते हैं, उनकी छोटी प्रतिमा अथवा तस्वीर को अवश्य स्थान दें। जब वाहन चलायें तो मानसिक रूप से इनका स्मरण अवश्य करें। दोपहिया वाहन चालक सिद्ध दुर्घटनाशक मारूति यंत्र अपनी शर्ट की जेब में रखें। इससे किसी भी दुर्घटना से रक्षा होगी।

How to Prevent Accidents-दुर्घटनाओं को रोकने के लिए उपाय

आप बार-बार दुर्घटनाग्रस्त होते हैं?

दुर्घटना का जिक्र आते ही जिन ग्रहों का सबसे पहले विचार करना चाहिए वे हैं शनि, राहु और मंगल यदि जन्मकुंडली में इनकी स्थिति अशुभ है (6, 8, 12 में) या ये नीच के हों या अशुभ नवांश में हों तो दुर्घटनाओं का सामना होना आम बात है।
 
शनि : शनि का प्रभाव प्राय: नसों व हड्‍डियों पर रहता है। शनि की खराब स्थिति में नसों में ऑक्सीजन की कमी व ‍हड्‍डियों में कैल्शियम की कमी होती जाती है अत: वाहन-मशीनरी से चोट लगना व चोट लगने पर हड्‍डियों में फ्रैक्चर होना आम बात है। यदि पैरों में बार-बार चोट लगे व हड्‍डी टूटे तो यह शनि की खराब स्थिति को दर्शाता है।

क्या करें : शनि की शांति के उपाय करें। हनुमान चालीसा का पाठ करें। मद्यपान और माँसाहार से पूर्ण परहेज करें। नौकरों-कर्मचारियों से अच्छा व्यवहार करें। शनि न्याय का ग्रह है इसलिए न्याय का रास्ता अपनाएँ, परिवार से विशेषत: स्त्रियों से संबंध मधुर रखें।

राहु : राहु का प्रभाव दिमाग व आँखों पर रहता है। कमर से ऊपरी हिस्से पर ग्रह विशेष प्रभाव रखता है। राहु की प्रतिकूल स्थिति जीवन में आकस्मिकता लाती है। दुर्घटनाएँ, चोट-चपेट अचानक लगती है और इससे मनोविकार, अंधापन, लकवा आदि लगना राहु के लक्षण हैं। पानी, भूत-बाधा, टोना-टोटका आदि राहु के क्षेत्र में हैं।

क्या करें : गणेश जी व सरस्वती की आराधना करें। अवसाद से दूर रहें। सामाजिक संबंध बढ़ाएँ। रिस्क न लें। खुश रहें व बातें न छुपाएँ।

मंगल : मंगल हमारे शरीर में रक्त का प्रतिनिधि है। मंगल की अशुभ स्थिति से बार-बार सिर में चोट लगती है। खेलते-दौड़ते समय गिरना आम बात है और इस‍ स्थि‍ति में छोटी से छोटी चोट से भी रक्त स्राव होता जाता है। रक्त संबंधी बीमारियाँ, मासिक धर्म में अत्यधिक रक्त स्राव भी खराब मंगल के लक्षण हैं। अस्त्र-शस्त्रों से दुर्घटना होना, आक्रमण का शिकार होना इससे होता है।

क्या करें : मंगलवार का व्रत करें, मसूर की दाल का दान करें। उग्रता पर नियंत्रण रखें। मित्रों की संख्‍या बढ़ाएँ। मद्यपान व माँसाहार से परहेज करें। अपनी ऊर्जा को रचनात्मक दिशा दें।
 
कब-कब होगी परेशानी : जब-जब इन ग्रहों की महादशा, अंतर्दशा या प्रत्यंतर दशा आएगी, तब-तब संबंधित दुर्घटनाओं के योग बनते हैं। इसके अलावा गोचर में इन ग्रहों के अशुभ स्थानों पर जाने पर, स्थान बदलते समय भी ऐसे कुयोग बनते हैं अत: इस समय का ध्यान रखकर संबंधित उपाय करना नितांत आवश्यक है।

Effect of Mars-मंगल दोष

मंगल दोष और होने वाली परेशानियॉं
 
ये भ्रम लोगो को की मंगली होने का मतलब मंगल दोष होता है।

मंगल दोष 28 वे वर्ष में अपने आप समाप्त हो जाता है और बिना कुंडली मिलाये शादी करा देनी चाहिए ये गलत धारणा है। मंगल दोष वाले माता पिता की संतान का 5 वर्ष की आयु तक बेहद खास ध्यान रखने की जरूरत होती है क्योकि उसका प्रतिरक्षित सिस्टम काफी कमजोर होगा इस बात की बहुत संभावना होती है।