पालथी मारकर आराम से बैठ जाएँ। रीढ़ की हड्डी बिलकुल सीधी होनी चाहिए। आँखे बंद, दो चार सांस लें और छोड़ें आराम से, सारा ध्यान साँसों पर, बिलकुल साधारण सांस लें और छोड़ें, अपना सारा ध्यान साँसों पर केन्द्रित करें। सांस बिलकुल ऐसे ही लें और छोड़े जैसे आम तोर पर लेतें हैं।
आपको अपना ध्यान सिर्फ साँसों पर लगाना है और कुछ नहीं करना है। कल्पना करें आप जो सांस ले रहें हैं यह पुरे शरीर में प्राण रूप में व्याप्त है। आपके शरीर के प्रत्येक कोशिका में प्राण का संचार हो रहा है। शरीर के कण कण में उर्जा भर रहा है। दस मिनट तक ऐसी कल्पना करें और डूबे रहें। अच्छा लगे तो बीस मिनट तक कर सकतें हैं। प्रतिदिन करें।
आपको अपना ध्यान सिर्फ साँसों पर लगाना है और कुछ नहीं करना है। कल्पना करें आप जो सांस ले रहें हैं यह पुरे शरीर में प्राण रूप में व्याप्त है। आपके शरीर के प्रत्येक कोशिका में प्राण का संचार हो रहा है। शरीर के कण कण में उर्जा भर रहा है। दस मिनट तक ऐसी कल्पना करें और डूबे रहें। अच्छा लगे तो बीस मिनट तक कर सकतें हैं। प्रतिदिन करें।
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