वास्तु के अनुसार
मुंशी प्रेमचन्द्र ने कहा था- "तुम्हे अपनों से कब फुरसत, हम अपने गम से कब खाली। चलो अब हो चुका मिलना न तुम न खाली न हम खाली।" आज की दूर संचार क्रान्ति में में यह कथन एकदम सही साबित हो रहा है। एक-दूसरे से जान-पहचान तो है, परन्तु यह याद रख पाना कठिन है कि किससे कब और किस जगह मुलाकात हुयी थी। आज सम्पर्क को स्थायित्व एंव गतिशील बनाने के लिए विजिटिंग कार्ड का दौर चल रहा है।
मुंशी प्रेमचन्द्र ने कहा था- "तुम्हे अपनों से कब फुरसत, हम अपने गम से कब खाली। चलो अब हो चुका मिलना न तुम न खाली न हम खाली।" आज की दूर संचार क्रान्ति में में यह कथन एकदम सही साबित हो रहा है। एक-दूसरे से जान-पहचान तो है, परन्तु यह याद रख पाना कठिन है कि किससे कब और किस जगह मुलाकात हुयी थी। आज सम्पर्क को स्थायित्व एंव गतिशील बनाने के लिए विजिटिंग कार्ड का दौर चल रहा है।
आधुनिक समय में व्यापार में विजिटिंग कार्डों का प्रचलन महत्वपूर्ण बन गया है। फलस्वरूप आधुनिक व्यापार विजिटिंग कार्डों के माध्यम से ही प्रभावित होने लगा है। इसीलिए यह आवश्यक है कि व्यापार में सफलता प्राप्त करने के लिए हमारा विजिटिंग कार्ड वास्तु के नियमानुकूल हो जिस से हमें सकारात्मक उर्जा प्राप्त हो सके ।
ऐसे में आपको यह सुनिश्चित करना है कि आपका विजिटिंग कार्ड कैसा हो? वास्तु के अनुसार यदि विजिटिंग कार्ड बनाया जाये तो, सम्पर्क और व्यवासय दोनों में प्रगतिशीलता कायम रहेगी। आगे पढ़ने से पहले यह समझ लें कि अपने विजिटिंग कार्ड को आप वास्तु की दिशाओं से कैसे जोड़ेंगे। अपने विजिटंग कार्ड को सामने रखें, ऊपर की ओर पूर्व दिशा होगी, नीचे पश्चिम, दाएं दक्षिण और बाएं उत्तर।
यदि आपका विजिटिंग कार्ड वास्तु अनुकूल रंग एवं आकर्षित बना हुआ है तो निश्चय ही आपके व्यापार को बढावा मिलेगा.इसके विपरीत आकर्षण विहीन विजिटिंग कार्ड जो वास्तु के नियम विपरीत बना हुआ है धीरे धीरे निश्चय ही आप के व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव देगा तथा आपको व्यापार में असफलता का सामना करना पड़ेगा अतः यह नितांत आवश्यक है कि विजिटिंग कार्ड बनवाने से पहले वास्तु अनुसार उसमें अनुकूल रंग एवं डिजाईन कि जांच कर ली जाए।
विजिटिंग कार्ड का आकार समकोण होना चाहिए। विषम कोण वाला विजिटिंग कार्ड सम्पर्क को अस्थायी एंव विवादग्रस्त बना सकता है और शीघ्र ही आपके सम्बन्ध टूट जायेंगे।विजिटिंग कार्ड में किस दिशा में क्या लिखवाया जाये, यह अधिक महत्वपूर्ण है। कार्ड के मध्य में ब्रहम स्थान से उपर आप-अपना नाम लिखा सकते हैं। मोबाइल नम्बर आग्नेय कोण यानि दक्षिण-पूर्व के कोने पर अकिंत करें। अपने व्यवसाय व संस्थान का नाम व पूरा पता दक्षिण-पश्चिम के कोण यानि नैरित्य कोण पर लिखवाना चाहिए । क्योंकि नैऋत्य कोण स्थिरता व व्यापकता का प्रतीक माना जाता है।कार्ड के रंगों का चयन अपनी जन्मपत्री के अनुसार करना चाहिए।
ट्रेडमार्क, मोनोग्राम, स्वास्तिक, कलश और गणपति आदि के लिए कार्ड का ईशान कोण अधिक शुभ माना जाता है। एक अच्छे विजिटिंग कार्ड के लिए कार्ड का मध्य क्षेत्र, जिसे वास्तु में ब्रहम स्थान कहा जाता है। उसे खाली रखना चाहिए। यह ध्यान रखे की एक सुन्दर और वास्तु के अनुसार डिजाईन किया हुआ विजिटिंग कार्ड आपके संपर्कों में मधुरता एंव व्यक्तित्व में चुम्बकीय आकर्षण पैदा करता है।
विजिटिंग कार्ड में किस दिशा में क्या लिखवाया जाये, यह अधिक महत्वपूर्ण है। कार्ड के मध्य में ब्रहम स्थान से उपर आप-अपना नाम लिखा सकते हैं। मोबाइल नम्बर आग्नेय कोण यानि दक्षिण-पूर्व के कोने पर अकिंत करें। अपने व्यवसाय व संस्थान का नाम व पूरा पता दक्षिण-पूर्व के कोण पर डालें। क्योंकि नैऋत्य कोण स्थिरता व व्यापकता का प्रतीक माना जाता है।
कार्ड के रंगों का चयन अपनी जन्मपत्री के अनुसार करना चाहिए। ट्रेडमार्क, मोनोग्राम, स्वास्तिक, कलश और गणपति आदि के लिए कार्ड का ईशान कोण अधिक शुभ माना जाता है। एक अच्छे विजिटिंग कार्ड के लिए कार्ड का मध्य क्षेत्र, जिसे वास्तु में ब्रहम स्थान कहा जाता है। उसे खाली रखना चाहिए। एक सुन्दर विजिटिंग कार्ड आपके संपर्कों में मधुरता एंव व्यक्तित्व में चुम्बकीय आकर्षण पैदा करता है।
वास्तु अनुसार विजिटिंग कार्ड इस प्रकार हो
आप का विजिटिंग कार्ड सुंदर एवं आकर्षक होना चाहिए इसके साथ साथ उसका चौरस होना तथा कटा-फटा ना होना भी अत्यन्त आवश्यक है।
आप का कार्ड झुर्र्यिओं व सलवटों से रहित हो तथा उसके बीच का स्थान खली(रिक्त) होना चाहिए जिससे कि अनुकूल सकारात्मक उष्मा आप के व्यापार को मिलती रहे।
विजिटिंग कार्ड कि अनुकूलता के लिए उसके उत्तरी पूर्वी (ईशान) कोने पर अपने धरम अनुसार धार्मिक चिन्ह या राष्ट्रीय चिन्ह अंकित करना वास्तु नियमों के अंतर्गत माना गया है। जो हमें अच्छी सफलता प्रदान करता है।
जहाँ तक फोन नुम्बरों का सवाल है जिससे हमारे व्यापारिक संपर्क बनते हैं उत्तर पश्चिम (व्यावय ) दिशा में होना चाहिए। इस दिशा में वायु का प्रभाव अति तीव्र होने के कारण हमारे व्यापार में हमें अनुकूल प्रभाव मिलेंगे।
विजिटिंग कार्ड का चुनाव करते समय यह आवश्यक है कि वह हलकी क्वालिटी का न हो ,पीले ,लाल व हरे रंग का विजिटिंग कार्ड वास्तु नियमों के अंतर्गत माना गया है।
जहाँ तक आपका नाम व पता लिखने कि बात है उसे दक्षिण पश्चिम वाले कोने से लिखना अच्छा व वास्तु अनुकूल माना गया है।
अनुसार कार्ड के रंग का चुनाव कर सकते हैं. इसके साथ साथ कार्ड का आकर्षित होना तथा सुंदर लिखा जाना भी आवश्यक है।
अत: वास्तुशास्त्र के नियम से विजिटिंग कार्ड को अलग अलग रुप से तैयार कीया जा सकता है. जैसे…
अत: वास्तुशास्त्र के नियम से विजिटिंग कार्ड को अलग अलग रुप से तैयार कीया जा सकता है. जैसे…
01. जन्म के चन्द्र की राशि के रंग के अनुरुप
02. अंकशास्त्र के अनुरुप
03. जन्मकुंडली के प्रबल ग्रहो के रंग के अनुरुप
04. जन्मकुंडली में सूर्य की स्थिति के अनुरुप
05. जन्मकुंडली के कर्मस्थान और भाग्यस्थान की स्थिति के अनुरुप
06. नक्षत्र स्वामी के अनुरुप
07. व्यक्ति या संस्था के प्रोफ़ेशन ( व्यवसाय ) के अनुरुप विजिटिंग कार्ड की रचना की जा सकती है.
जनरली लोग अपने बिजनेस कार्ड को ही सोशल ओकेजंस पर दिए जाने वाले विजिटिंग काड्र्स की तरह यूज करते हैं, जबकि सोशल गैदरिंग्स या नॉन फॉर्मल रिलेशंस के लिए ऐसे काड्र्स सही नहीं हैं. आपके बिजनेस कार्ड में ज्यादा से ज्यादा आपके ऑफिस में आपका डेजिग्नेशन, ऑफिशियल मेल आईडी, आपकी डेस्क का एक्सटेंशन नंबर और आपका ऑफिशियल कांटैक्ट नंबर दिया होगा. ये इंफॉर्मेशन एक नॉन फॉर्मल इंट्रोडक्शन के लिए बहुत नहीं है. अगर आप सोशलाइजिंग अक्सर करते हैं और अपनी प्रोफेशनल लाइफ के सिवा भी कुछ और फील्ड्स में एक्टिव हैं तो एक अलग कॉलिंग कार्ड आपके लिए जरूरी है.
आपका कॉलिंग कार्ड आपकी पर्सनैलिटी और काम को सूट करता हुआ होना चाहिए. एक फैक्ट ये है कि सही कलर स्कीम, सही फॉन्ट और सही इन्फॉर्मेशन कॉलिंग कार्ड रखने का पर्पज सॉल्व कर देते हैं. इसके बावजूद अगर आप अपने कार्ड को कुछ अलग तरीके से कस्टमाइज कराना चाहें तो फोल्डिंग काड्र्स चुन सकते हैं. या बैक में कोई अपीलिंग डिजाइन बनवा सकते हैं. ये सेलेक्शन आपके काम से रिलेटेड होना चाहिए.
आपके कॉलिंग कार्ड पर लिखी इन्फो बिजनेस कार्ड से अलग होनी चाहिए. इस पर इन्फो ज्यादा डिटेल्ड और पर्सनल हो सकती है. जरूरत से ज्यादा इन्फॉर्मेशन डालकर इसे भरा-भरा दिखाने से बचें. ये इन्फॉर्मेशन आप अपने कार्ड पर डाल सकते हैं...
अपनी पहचान
अगर आप राइटर हैं तो ये इन्फो आपके बिजनेस कार्ड पर नहीं हो सकती. इसे आप कॉलिंग कार्ड पर डाल सकते हैं.
आपके कांटैक्ट नंबर
इसमें आप अपने ऑफिस या घर का नंबर दे सकते हैं.
आपकी ईमेल आईडी
पर्सनल मेल्स आप ऑफिशियल आईडी पर नहीं चाहेंगे. सो पर्सनल आईडी मेंशन करें. सोशल नेटवर्किंग साइट पर प्रिजेंस अपना ट्विटर या एफबी आईडी भी दे सकते हैं.
ब्लॉग या वेबसाइट
अपने काम से रिलेटेड या पर्सनल ब्लॉग या वेबसाइट हो तो वो भी इस कार्ड पर मेंशन करें.
ऑफिस इन्फो ऑफिस से रिलेटेड कुछ इन्फॉर्मेशन आपके पर्सनल लिंक्स में भी काम आ सकती है. अगर आप अपने ऑफिस या कंपनी में सीनियर पोजिशन पर हैं तो इसे भी मेंशन कर सकते हैं.
आपका विजिटिंग कार्ड आपके लिए महज एक फॉर्मेलिटी हो सकता है लेकिन अगर तरीके से यूज किया जाए तो ये नेटवर्किंग का एक बेहतरीन टूल बन सकता है
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