सूर्य: यदि आपकी जन्म पत्रिका में सूर्य अच्छे फल नही दे रहा है, तो नवरात्र में आपको महात्रिपुरसुंछरी और कूष्माण्डा देवी की उपासना करनी होगी और मन्त्र ‘ऐं क्लीं सौः’ का जप नवरात्र में करना आपको लाभ दायक होगा। बालत्रिपुरसुन्दी तथा कूष्माण्डा देवी का विग्रह, चित्र अथवा यन्त्र रखकर उनका नित्य पूजन करें ने कृष्टो मे कमी आयेगी, मन्त्र की नित्य 9 माला करे।
चन्द्रमा: जन्मपत्रिका में यदि चन्द्रमा अच्छे फल नही दे रहा है, तो व्यक्ति को माँ लक्ष्मी और शैलपुत्री की पूजा-उपासना करनी चाहिए। इन नवरात्र में प्रथम दिन से ही दोनों देवियों के चित्र, के सामने अथवा यन्त्र को सामने रखकर सर्वप्रथम उनकी पूजा-उपासना करें। तत्पष्चात् ‘ऊँ नमः कमलवासिन्यै स्वाहा’ मन्त्र का नवरात्रपर्यन्त नित्य 9 मालाओं का जप करें।
मंगल: यदि आपकी जन्मपत्रिका में मंगल अच्छे फल नही दे रहा है, तो इन नवरात्र में स्कन्दमाता और मातंगी देवी की पूजा-उपासना करनी चाहिए। प्रथम नवरात्र से ही दोनों देवियों के विग्रह, चित्र अथवा यन्त्र को स्थापित करके उनकी पूजा-उपासना करनी चाहिए। तत्पष्चात ‘ऊँ हीं क्लीं हं मातंग्यै फट् स्वाहा’ मन्त्र की नवरात्रपर्यन्त 9 मालाओं का जप करें।
बुध: यदि जन्मपत्रिका में बुध अच्छे फल नही दे रहा है, और समस्याओं का सामना करना पड़ रहा हो, तो इस नवरात्र में महातारा और ब्रह्मचारिणी देवी के विग्रह, चित्र अथवा यन्त्र को स्थापित कर नवरात्रपर्यन्त नित्य उनका पूजन अर्चन करें और ‘ऊँ हीं त्रीं हुं फट्’ मन्त्र का नवरात्रपर्यन्त नित्य 9 मालाओं का जप करें।
गुरू: यदि आपकी जन्मपत्रिका में गुरू अशुभफलकारी हो, अच्छे फल नही दे रहा है तो उसे अनुकूल बनाने के लिए नवरात्र में नित्य माँ बगलामुखी और माँ चन्द्रघण्टा के चित्र अथवा यन्त्र का पूजन करें। मन्त्र की नित्य 9 मालाओं का नवरात्र पर्यन्त जप करें।
शुक्र: यदि आपकी जन्मपत्रिका में शुक्र अशुभफलकारी हो, अच्छे फल नही दे रहा है तो उसे अनुकूल बनाने के लिए इन नवरात्रों में माँ भुवनेष्वरी और महागौरी के चित्र अथवा यन्त्र की स्थापना कर नित्य उनका पूजन-अर्चन करें और नित्य 9 मालाओं का जप करें।
शनि: यदि आपकी जन्मपत्रिका में शनि अशुभफलकारी हो, अच्छे फल नही दे रहा है तो नवरात्र में महाकाली और कालरात्रि की उपासना करना श्रेष्ठ होगा। इस हेतु इनके विग्रह, चित्र अथवा यन्त्र का नवरात्र पर्यन्त नित्य पूजन-अर्चन करें और ‘ऊँ हृौ काली महाकाली किलिकिले फट् स्वाहा’ मन्त्र की नित्य 9 मालाओं का जप करें।
राहू: यदि आपकी जन्मपत्रिका अशुभफलकारी हो, अच्छे फल नही दे रहा है और आपको पीड़ित कर रहा हो, तो उसे अनुकूल बनाने के लिए माँ छिन्नमस्ता और माँ कात्यायिनी की नित्य पूजा-उपासना करली चाहिए। इस हेतु नवरात्र में प्रथम दिन से ही पूजा स्थान में उनके विग्रह, चित्र अथवा यन्त्र की स्थापना कर नित्य उनका पूजन करें। मन्त्र की 9 मालाओं का जप नवरात्र पर्यन्त करें।
केतु: जन्मपत्रिका में केतु अशुभफलकारी हो, अच्छे फल नही दे रहा है और उसे अनुकूल बनाने के लिए नवरात्र में त्रिपुर भैरवी और सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना उनके विग्रह, चित्र अथवा यन्त्र की स्थापना कर नवरात्र पर्यन्त नित्य करनी चाहिए। साथ ही ‘हसैं हसकरीं हसैं’ मन्त्र का नवरात्र पर्यन्त नित्य 9 मालाओं का जप करना चाहिए।
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