Stop Accidents-दुर्घटनाओं को रोकिए

कई बार छोटी दुर्घटनाएं होकर कोई बडी बला टल जाती है, तो कभी छोटी दुर्घटना भी जानलेवा साबित हो जाती है। यहां हम कुछ ऎसे सरल किन्तु अत्यन्त अपयोगी उपाय बता रहे हैं जिनका प्रयोग करने से दुर्घटना के योग को टाला जा सकता है अथवा घातक परिणामों से मुक्ति मिल सकती है।

पहला- यह एक ऎसा सरल उपाय है जिसके प्रयोग आप सुनिश्चित लाभ की अपेक्षा कर सकते हैं। इस प्रयोग के अन्तर्गत गुरूपुष्य नक्षत्र में शुभ मुहूर्त में निकाली गई अपामार्ग नामक पौधे की जड ले लें। इस पौधे को लटजीरा, आंधाझाडा इत्यादि नामों से भी पुकारा जाता है। इस जड को एक फिटकरी के टुकडे एवं एक कोयले के टुकडे के साथ एक काले वस्त्र में बांधकर उससे वाहन के चारों ओर दाहिने घूमते हुये 7 चक्कर लगायें। यह एक प्रकार का उसारा करने के समान है। इसके पश्चात इस पोटली को वाहन मे कहीं रख दें। ऎसा करने से वाहन दुरात्माओं से रक्षित रहता है तथा उसकी दुर्घटनाओं से भी रक्षा होती है।

दूसरा- यह एक यंत्र प्रयोग है। इस यंत्र निर्माण के पश्चात इसे सिद्ध करके अपने वाहन में अथवा अपने पास रखा जाए तो दुर्घटनाओं से बचा जा सकता है। अगर आपका वाहन चार पहिया है तो इसे डेशबोर्ड पर रखने की व्यवस्था करें। अगर दोपहिया वाहन है तो अपने पर्स में रखें। इस यंत्र का प्रारूप आगे दिया गया है। चूंकि किसी भी दुर्घटना से रक्षा करने वाले मारूति नन्दन श्री हनुमानजी हैं, अत: इस यंत्र का लेखन मंगलवार अथवा शनिवार को करें। अगर शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार अथवा शनिवार को करें तो अधिक प्रभावी रहेगा। इसके लिये आपको केशर को पानी में घोलकर स्याही का निर्माण करना पडेगा। लिखने के लिये अनार की कलम की व्यवस्था करें। एक भोजपत्र की भी व्यवस्था करके रखें। जिस दिन आपको यंत्र का निर्माण करना है, उस दिन स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। आवास में ही किसी एकान्त स्थान का चयन करें। दक्षिण को छोडकर किसी भी दिशा की तरफ मुंह करके बैठें। बैठने के लिये सूती अथवा ऊनी आसन का प्रयोग किया जा सकता है। एक बाजोट बिछायें। इसके ऊपर सवा मीटर लाल वस्त्र चार तह करके बिछायें। इसके ऊपर हनुमानजी की तस्वीर को स्थान दें। इसके समक्ष दीपक प्रज्वलित करें। अब आप यंत्र का प्रारूप बनायें। यंत्र निर्माण के समय हनुमानजी के मंत्र का जाप करते रहें। यंत्र लेखन के पश्चात इसे बाजोट पर हनुमानजी की तस्वीर के समक्ष रख दें। अब आपको हनुमानजी के किसी भी मंत्र की एक माला का जाप करना है। जाप के पश्चात हाथ जोडकर उठ जायें। जब तक दीपक जलता है, तब तक यंत्र को वहीं रखा रहने दें। दीपक ठण्डा हो जाये, इसके बाद यंत्र को उठा लें। तस्वीर को पूजास्थल में स्थान दें। बाजोट एवं आसन आदि भी समेट लें। अब आप किसी भी प्रकार से यंत्र को कार के डेशबोर्ड पर रखें। अगर दोपहिया वाहन है तो जेब में रखें। यह यंत्र आपके लिये रक्षा कवच का काम करेगा और आपको किसी भी प्रकार की दुर्घटना से बचा कर रखेगा।

तीसरा- इस प्रयोग को सम्पन्न करने वाला स्नान आदि से निवृत होकर, किसी भी शनिवार अथवा मंगलवार के दिन हनुमानजी के मंदिर जाकर उन्हें फूल-प्रसाद आदि अर्पण करें। तदुपरान्त उसी मंदिर में बैठकर हनुमानजी को श्रीराम श्रीराम नाम सुनायें। वह चाहे तो श्रीराम नाम की ग्यारह माला का जाप करें। इसके पश्चात अपने दाहिने हाथ से हनुमानजी के बायें पैर का सिंदूर ले ले। ध्यान रहे कि सिंदूर लेने हेतु अनामिका का प्रयोग करें। इस सिंदूर को एक कागज के मध्य में टीके की भांति लगा लें। उस कागज पर लगाये गये टीके के ऊपर की ओर श्रीरामदूतम् शरणं प्रपद्दे लिखें तथा टीके के नीचे की ओर भी श्रीराम दूतमं शरणम् प्रपद्दे लिखें। टीके के दोनों बाजुओं की तरफ अर्थात दायें-बायें श्रीराम दूताय नम: ऎसा लिखें। हनुमानजी के नाम से जडित इस यंत्र को वाहन में ड्राइवर के समक्ष ऊपर की ओर लगा दें। गाडी चालाने के पूर्व ड्राईवर इस यंत्र को अगरबत्ती लगाकर प्रणाम कर वाहन चलाना प्रारम्भ करे। ऎसा करने से वाहन श्रीहनुमानजी की कृपा से सुरक्षित रहता है। इस यंत्र को स्थापित करने वाला ड्राईवर गलत कार्यो से बचें अन्यथा लाभ की जगह हानि भी हो सकती है।

चौथा- वाहन को दुर्घटना से बचाने हेतु अनेक सरल प्रयोग सुझाए गए हैं। यह प्रयोग अत्यन्त ही सरल एवं प्रभावी है। इस प्रयोग के अन्तर्गत वाहन चालक व्यक्ति एक काले वस्त्र का चौकोर टुकडा लें। उसमें लगभग देा सौ ग्राम फिटकरी का एक टुकडा बांध दें। इस पोटली को वाहन के सामने की ओर किसी मजबूत डोरी से लटका दें। इसके प्रभाव से वाहन किसी भी दुर्घटना से रक्षित रहता है। एक अन्य प्रयोग में वाहन के सामने और पीछे की ओर किसी राक्षस का मुखौटा बनाने या लगाने से भी वाहन दुर्घटना से मुक्त रहता है। कुछ लोग वाहनों को दुर्घटना एवं बुरी नजर से बचाने के लिये उनके सामने की ओर जूता लटकाये रखते हैं। इसी प्रकार वाहन के सामने की ओर त्रिकोणाकार आकृति में काटे गये दो काले वस्त्रों को कोणीय रूप से लगाने से भी वाहन नकारत्मक ऊर्जा से दूर रहता है। भगवान शिव को विध्वंस का देव माना गया है किन्तु इन्हीं की कृपा से साक्षात मृत्यु की ओर जाता हुआ व्यक्ति भी पुन: जीवनदान पा जाता है, इसलिये जितने भी भारी चार पहिया वाहन के चालक हैं, उनमें से अधिकांश अपने डेशबोर्ड पर भगवान शिव की प्रतिमा अथवा तस्वीर लगाते हैं। इन चालकों का विश्वास होता है कि जो मारने वाला है वही बचाने वाला भी होता है। अनेक चालक अपने डेश बोर्ड पर हनुमानजी की तस्वीर अथवा प्रतिमा को स्थान देते हैं। इनमें से किसी को अथवा जिन्हें आप मानते हैं, उनकी छोटी प्रतिमा अथवा तस्वीर को अवश्य स्थान दें। जब वाहन चलायें तो मानसिक रूप से इनका स्मरण अवश्य करें। दोपहिया वाहन चालक सिद्ध दुर्घटनाशक मारूति यंत्र अपनी शर्ट की जेब में रखें। इससे किसी भी दुर्घटना से रक्षा होगी।

How to Prevent Accidents-दुर्घटनाओं को रोकने के लिए उपाय

आप बार-बार दुर्घटनाग्रस्त होते हैं?

दुर्घटना का जिक्र आते ही जिन ग्रहों का सबसे पहले विचार करना चाहिए वे हैं शनि, राहु और मंगल यदि जन्मकुंडली में इनकी स्थिति अशुभ है (6, 8, 12 में) या ये नीच के हों या अशुभ नवांश में हों तो दुर्घटनाओं का सामना होना आम बात है।
 
शनि : शनि का प्रभाव प्राय: नसों व हड्‍डियों पर रहता है। शनि की खराब स्थिति में नसों में ऑक्सीजन की कमी व ‍हड्‍डियों में कैल्शियम की कमी होती जाती है अत: वाहन-मशीनरी से चोट लगना व चोट लगने पर हड्‍डियों में फ्रैक्चर होना आम बात है। यदि पैरों में बार-बार चोट लगे व हड्‍डी टूटे तो यह शनि की खराब स्थिति को दर्शाता है।

क्या करें : शनि की शांति के उपाय करें। हनुमान चालीसा का पाठ करें। मद्यपान और माँसाहार से पूर्ण परहेज करें। नौकरों-कर्मचारियों से अच्छा व्यवहार करें। शनि न्याय का ग्रह है इसलिए न्याय का रास्ता अपनाएँ, परिवार से विशेषत: स्त्रियों से संबंध मधुर रखें।

राहु : राहु का प्रभाव दिमाग व आँखों पर रहता है। कमर से ऊपरी हिस्से पर ग्रह विशेष प्रभाव रखता है। राहु की प्रतिकूल स्थिति जीवन में आकस्मिकता लाती है। दुर्घटनाएँ, चोट-चपेट अचानक लगती है और इससे मनोविकार, अंधापन, लकवा आदि लगना राहु के लक्षण हैं। पानी, भूत-बाधा, टोना-टोटका आदि राहु के क्षेत्र में हैं।

क्या करें : गणेश जी व सरस्वती की आराधना करें। अवसाद से दूर रहें। सामाजिक संबंध बढ़ाएँ। रिस्क न लें। खुश रहें व बातें न छुपाएँ।

मंगल : मंगल हमारे शरीर में रक्त का प्रतिनिधि है। मंगल की अशुभ स्थिति से बार-बार सिर में चोट लगती है। खेलते-दौड़ते समय गिरना आम बात है और इस‍ स्थि‍ति में छोटी से छोटी चोट से भी रक्त स्राव होता जाता है। रक्त संबंधी बीमारियाँ, मासिक धर्म में अत्यधिक रक्त स्राव भी खराब मंगल के लक्षण हैं। अस्त्र-शस्त्रों से दुर्घटना होना, आक्रमण का शिकार होना इससे होता है।

क्या करें : मंगलवार का व्रत करें, मसूर की दाल का दान करें। उग्रता पर नियंत्रण रखें। मित्रों की संख्‍या बढ़ाएँ। मद्यपान व माँसाहार से परहेज करें। अपनी ऊर्जा को रचनात्मक दिशा दें।
 
कब-कब होगी परेशानी : जब-जब इन ग्रहों की महादशा, अंतर्दशा या प्रत्यंतर दशा आएगी, तब-तब संबंधित दुर्घटनाओं के योग बनते हैं। इसके अलावा गोचर में इन ग्रहों के अशुभ स्थानों पर जाने पर, स्थान बदलते समय भी ऐसे कुयोग बनते हैं अत: इस समय का ध्यान रखकर संबंधित उपाय करना नितांत आवश्यक है।

Effect of Mars-मंगल दोष

मंगल दोष और होने वाली परेशानियॉं
 
ये भ्रम लोगो को की मंगली होने का मतलब मंगल दोष होता है।

मंगल दोष 28 वे वर्ष में अपने आप समाप्त हो जाता है और बिना कुंडली मिलाये शादी करा देनी चाहिए ये गलत धारणा है। मंगल दोष वाले माता पिता की संतान का 5 वर्ष की आयु तक बेहद खास ध्यान रखने की जरूरत होती है क्योकि उसका प्रतिरक्षित सिस्टम काफी कमजोर होगा इस बात की बहुत संभावना होती है।